Description
Price: ₹125.00
(as of Nov 18, 2024 20:56:11 UTC – Details)
From the Publisher
भारत का संविधान | Bharat ka Samvidhan (Constitution of India) by Pramod Kumar Agrawal
डॉ. प्रमोद कुमार अग्रवाल द्वारा लिखित पुस्तक “भारत का संविधान” कई मायनों में विशिष्ट है, क्योंकि इस पुस्तक में सरल हिन्दी भाषा में भारत के संविधान को प्रस्तुत किया गया है, जो विशेष रूप से सिविल सेवा परीक्षाओं तथा अन्य प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी कर रहे अभ्यर्थियों के लिए अत्यंत उपयोगी है।
इसके अलावा अन्य सामान्य पाठक भी भारत के संविधान को समझने के लिए इस पुस्तक की सहायता ले सकते हैं। सामान्यत: संविधान को राजनीतिशास्त्र का एक अंग माना जाता है और लेखक ने इस पुस्तक में संविधान–रचना की पृष्ठभूमि, संविधान रचना के गठन, संविधान के स्वरूप, राज्यक्षेत्र, नागरिकों के अधिकार एवं कर्तव्य, राज्य के नीति निदेशक तत्व, कार्यपालिका आदि का बखूबी निरूपण किया है।
मूल विषय के प्रतिपादन में क्रमश: संविधान में निरुपित विषयों को ही सम्मिलित किया गया है। मूलतः अंग्रेजी में रचित भारतीय संविधान का यह सरल हिन्दी रूपांतरण भारत की नई पीढ़ी को भारत का संविधान आत्मसात करने में और उसे समझने में प्रमुख भूमिका निभाने की क्षमता रखती है।
पुस्तक की प्रमुख विशेषताएं
हिन्दी में सरलीकृत रूप में प्रस्तुत।
संविधान सम्बन्धी विविध पक्षों पर सरल भाषा में विस्तृत विवेचन।
संविधान रचना की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि का पूर्ण विवरण।
महत्वपूर्ण तथ्यों से सम्बंधित जानकारियाँ बॉक्स में प्रस्तुत।
प्रतियोगियों, छात्रों एवं सामान्य पाठकों के लिए एक संग्रहणीय पुस्तक।
संविधान में अब तक हुए संशोधनों का पूर्णत: समावेश।
परिशिष्ट के रूप में संविधान सम्बन्धी ज्ञानवर्धक तथ्यों का संकलन।
संविधान का राष्ट्रीय लोक-विमर्श आज भी लगभग पूरी तरह अंग्रेजी भाषा का मुखापेक्षी है। इस विमर्श में आम आदमी की छवि एवं उनके सरोकार तो नजर आते हैं, किंतु आम आदमी की भाषा सुनाई नहीं देती। इस ग्रंथ में हिंदी में विवेकसंगत एवं संतुलित संविधान-विमर्श के साथ ही आम आदमी की समझ में आनेवाली भाषा प्रयोग की गई है। संविधान-रचना की पृष्ठभूमि और व्याख्या की दृष्टि से यह ग्रंथ हिंदी भाषा में संविधान-साहित्य को एक अमूल्य और बेजोड़ उपहार है।
प्रस्तुत ग्रंथ में संविधान के विविध पक्षों पर सरल एवं सुबोध भाषा में प्रकाश डाला गया है। इसमें संविधान के उलझे हुए प्रश्नों के विवेचन के साथ-साथ संविधान के विषयों का अनुच्छेद-आधारित उल्लेख भी है। संविधान की रचना की पृष्ठभूमि देते हुए बताया गया है कि कई ‘अर्धवैधानिक’ नियम भी संविधान एवं शासन प्रबंध की व्यावहारिकता में महत्त्वपूर्ण होते हैं। उन सबको लेकर एक सांगोपांग एवं सर्वतोमुखी संवैधानिक विवेचन इस ग्रंथ में समाविष्ट है, जिसमें इतिहास है, राजनीति है, समाजशास्त्र है।
संविधान का राष्ट्रीय लोक-विमर्श आज भी लगभग पूरी तरह अंग्रेजी भाषा का मुखापेक्षी है। इस विमर्श में आम आदमी की छवि एवं उनके सरोकार तो नजर आते हैं, किंतु आम आदमी की भाषा सुनाई नहीं देती। इस ग्रंथ में हिंदी में विवेकसंगत एवं संतुलित संविधान-विमर्श के साथ ही आम आदमी की समझ में आनेवाली भाषा प्रयोग की गई है। संविधान-रचना की पृष्ठभूमि और व्याख्या की दृष्टि से यह ग्रंथ हिंदी भाषा में संविधान-साहित्य को एक अमूल्य और बेजोड़ उपहार है।
प्रस्तुत ग्रंथ में संविधान के विविध पक्षों पर सरल एवं सुबोध भाषा में प्रकाश डाला गया है। इसमें संविधान के उलझे हुए प्रश्नों के विवेचन के साथ-साथ संविधान के विषयों का अनुच्छेद-आधारित उल्लेख भी है। संविधान की रचना की पृष्ठभूमि देते हुए बताया गया है कि कई ‘अर्धवैधानिक’ नियम भी संविधान एवं शासन प्रबंध की व्यावहारिकता में महत्त्वपूर्ण होते हैं। उन सबको लेकर एक सांगोपांग एवं सर्वतोमुखी संवैधानिक विवेचन इस ग्रंथ में समाविष्ट है, जिसमें इतिहास है, राजनीति है, समाजशास्त्र है।
संविधान का राष्ट्रीय लोक-विमर्श आज भी लगभग पूरी तरह अंग्रेजी भाषा का मुखापेक्षी है। इस विमर्श में आम आदमी की छवि एवं उनके सरोकार तो नजर आते हैं, किंतु आम आदमी की भाषा सुनाई नहीं देती। इस ग्रंथ में हिंदी में विवेकसंगत एवं संतुलित संविधान-विमर्श के साथ ही आम आदमी की समझ में आनेवाली भाषा प्रयोग की गई है। संविधान-रचना की पृष्ठभूमि और व्याख्या की दृष्टि से यह ग्रंथ हिंदी भाषा में संविधान-साहित्य को एक अमूल्य और बेजोड़ उपहार है।
प्रस्तुत ग्रंथ में संविधान के विविध पक्षों पर सरल एवं सुबोध भाषा में प्रकाश डाला गया है। इसमें संविधान के उलझे हुए प्रश्नों के विवेचन के साथ-साथ संविधान के विषयों का अनुच्छेद-आधारित उल्लेख भी है। संविधान की रचना की पृष्ठभूमि देते हुए बताया गया है कि कई ‘अर्धवैधानिक’ नियम भी संविधान एवं शासन प्रबंध की व्यावहारिकता में महत्त्वपूर्ण होते हैं। उन सबको लेकर एक सांगोपांग एवं सर्वतोमुखी संवैधानिक विवेचन इस ग्रंथ में समाविष्ट है, जिसमें इतिहास है, राजनीति है, समाजशास्त्र है।
डॉ. प्रमोद कुमार अग्रवाल
डॉ. अग्रवाल का कृतित्व राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, बुंदेलखंड विश्वविद्यालय तथा हिंदी साहित्य सम्मेलन, प्रयाग द्वारा सम्मानित हो चुका है। भारतीय प्रशासनिक सेवा से अवकाश ग्रहण करने के पश्चात् संप्रति साहित्य के माध्यम से समाज-सेवा में समर्पित हैं।
प्रस्तुत ग्रंथ में संविधान के विविध पक्षों पर सरल एवं सुबोध भाषा में प्रकाश डाला गया है। इसमें संविधान के उलझे हुए प्रश्नों के विवेचन के साथ-साथ संविधान के विषयों का अनुच्छेद-आधारित उल्लेख भी है। संविधान की रचना की पृष्ठभूमि देते हुए बताया गया है कि कई ‘अर्धवैधानिक’ नियम भी संविधान एवं शासन प्रबंध की व्यावहारिकता में महत्त्वपूर्ण होते हैं। उन सबको लेकर एक सांगोपांग एवं सर्वतोमुखी संवैधानिक विवेचन इस ग्रंथ में समाविष्ट है, जिसमें इतिहास है, राजनीति है, समाजशास्त्र है।
Constitution of India by Dr. P. K. Agrawal
The book is arranged Article-wise and references have been given at the end of each Chapter as almost each article of the Constitution has been judicially interpreted, the meaning determined by the judiciary has been explained along with the citation of the case. The bulk of the book has been kept moderate and essential information under each article has been provided. To err is human and authors jointly own The responsibility for any error factual or otherwise.
ISBN-10: 9352664833 | ISBN-13: 978-9352664832
BHARTIYA SAMVIDHAN EVAM RAJVYAVSTHA BY UDYABHAN SINGH
प्रस्तुत पुस्तक ‘भारतीय संविधान एवं राजव्यवस्था’ संघ लोक सेवा आयोग एवं राज्य लोक सेवा आयोगों की परीक्षाओं हेतु लिखी गई है। यह पुस्तक भारतीय संविधान एवं भारतीय राजव्यवस्था से सम्बद्ध समस्त अवधारणाओं का निष्पक्ष एवं सरल भाषा में विवरण प्रस्तुत करती है। इसमें संवैधानिक संरचना; संवैधानिक विकास; कार्यपालिका : संघ एवं राज्य; व्यवस्थापिका : केंद्रीय एवं राज्य; न्यायपालिका; स्थानीय शासन; नगरीय शासन; केंद्र-राज्य संबंध; आपातकालीन प्रावधान; कुछ राज्यों के लिए विशेष प्रावधान; संविधान संशोधन; संवैधानिक संस्थाएँ; राष्ट्रीय एवं राज्य मानवाधिकार आयोग; नीति आयोग; भारत में राजनीतिक दल; दबाव समूह; स्वैच्छिक संगठन; लोकपाल एवं लोकायुक्त; भारत में खुफिया तंत्र; ई-शासन; कॉर्पोरेट गवर्नेस इत्यादि महत्वपूर्ण विषयों पर विश्लेषणात्मक सामग्री प्रस्तुत की गई है।
Dr. Ambedkar Rajneeti, Dharm Aur Samvidhan Vichar by Dr. Ambedkar
भारत में लोकतंत्र है या नहीं है; सच क्या है? जब तक लोकतंत्र को गणराज्य से जोड़ने या लोकतंत्र को संसदीय सरकार से जोड़ने से पैदा हुई गलत फहमी दूर नहीं हो जाती; इस सवाल का कोई ठोस जवाब नहीं दिया जा सकता। भारतीय समाज व्यक्तियों से नहीं बना है। यह असंख्य जातियों के संग्रहण से बना है; जिनकी अलग-अलग जीवनशैली है और जिनका कोई साझा अनुभव नहीं है तथा न ही आपस में लगाव या सहानुभूति है। इस तथ्य को देखते हुए इस बिंदु पर बहस करने का कोई मतलब नहीं है। समाज में जाति-व्यवस्था समाज में उन आदर्शों की स्थापना तथा लोकतंत्र की राह में अवरोध है। —इसी संग्रह से
1000 Samvidhan Prashnottari by Anil Kumar Mishra
शिक्षा से लेकर परीक्षा तक; जन साधारण से लेकर उच्चतम न्यायालय तक अकसर संविधान की चर्चा की जाती है; किंतु संविधान के बारे में तथ्यपूर्ण एवं व्यवस्थित जानकारी गिने-चुने लोगों को ही है। विभिन्न कारणों से आम आदमी भारत के संविधान के बारे में प्रायः अनभिज्ञ ही है; जबकि उसके मन में संविधान के बारे में समय-समय पर विविध प्रश्न उठते रहते हैं। प्रस्तुत पुस्तक में प्रश्नोत्तर शैली में संविधान संबंधी जिज्ञासाओं का समुचित समाधान किया गया है। भारतीय संविधान की रचना कब; क्यों और किन परिस्थितियों में की गई आदि के संबंध में तथ्यपरक जानकारी के लिए पुस्तक के आरंभ में संविधान-रचना की पृष्ठभूमि; संविधान-सभा के गठन; संविधान के स्वरूप आदि का निरूपण किया गया है। इसी प्रकार संविधान में निरूपित विभिन्न विषयों को शीर्षकबद्ध प्रस्तुत किया गया है।
Publisher : Prabhat Prakashan (1 January 2020); Prabhat Prakashan – Delhi
Language : Hindi
Paperback : 352 pages
ISBN-10 : 9390101891
ISBN-13 : 978-9390101894
Item Weight : 310 g
Dimensions : 9 x 5.5 x 3 cm
Country of Origin : India
Importer : Prabhat Prakashan – Delhi
Packer : Prabhat Prakashan – Delhi
Generic Name : Books
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